Thursday, June 21, 2012

गुरु

प्रश्न : क्या गुरु चुनने से पहले गुरु दीक्षा लेनी आवश्यक होती है?

श्री श्री रविशंकर : आपको गुरु चुनने की कोई ज़रूरत नहीं है| आप जीवन में जो भी अच्छी बातें सीखते हैं और जहाँ से भी सीखते हैं, उन सबमें गुरु तत्व मौजूद है|
आपकी माँ आपकी प्रथम गुरु है| जैसे जैसे आप बड़े होते हैं, आपको शिक्षा देने वाले गुरु मिलते हैं| इसी तरह, जीवन के हर मोड़ पर आपके जीवन में एक गुरु होते हैं| गुरु तत्व तो हमेशा आपके साथ रहता है| तो जब भी आपके मन को लगता है, कि हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए कोई हमारी सहायता कर रहा है, इसका मतलब कि गुरु तत्व मौजूद है|

प्रश्न : ऐसा कहा जाता है कि हमें ‘राहु-काल’ के समय कोई पूजा नहीं करनी चाहिये| लेकिन फिर भी आश्रम में हमारा रविवार का सत्संग क्यों हमेशा राहु-काल में ही होता है?
श्री श्री रविशंकर : ऐसा नहीं कहा गया है, कि राहु-काल के समय हमें कोई पूजा नहीं करनी चाहिये| बल्कि, राहु-काल के समय पूजा करना तो शुभ माना जाता है| हाँ, शादियाँ और गृह-प्रवेश इस समय नहीं करना चाहिये|
केवल इतना ही कहा गया है, कि हमें कोई सांसारिक कार्य इस समय नहीं करने चाहिये; यह नहीं कि इस समय भगवान को याद नहीं कर सकते, या सत्संग नहीं कर सकते| बल्कि, राहु-काल में सत्संग करना अच्छा रहता है|
ग्रहण और राहु-काल के समय सत्संग करना अच्छा होता है| सत्संग करने के लिए तो हर समय अच्छा होता है| दूसरे लोगों की मदद करने के लिए, और भगवान को याद करने के लिए हमें किसी शुभ समय की ज़रूरत नहीं है| इसके लिए तो चौबीसों-घंटे बढ़िया होते हैं|

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